पगड़ी संभाल जट्टा, पगड़ी संभाल ओए" को चरितार्थ कर रहे पतविंदर

अंग्रेजों ने एक कानून बनाया था कॉलोनाइजेशन एक्ट और दोआब बारी एक्ट। इसमें नहर बनाने के नाम पर किसानों से उनकी जमीन हथिया ली गई थी। साथ ही उल्टे-सीधे टैक्स भी लगाए जा रहे थे। भगत सिंह के चाचा ने इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा था। 3 मार्च 1907 को ल्यालपुर जो कि अब पाकिस्तान में है, वहां एक बड़ी रैली हुई। एक अखबार चला करता था झांग स्याल। उसके एडिटर थे बांके दयाल, उन्हीं ने ये गाना सुनाया- "पगड़ी संभाल जट्टा, पगड़ी संभाल ओए", गाना इतना फेमस हुआ कि पूरे आंदोलन का नाम पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन पड़ गया।
कुछ इसी तरह चीन के कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में हाहाकार मचाते हुए इंसानों को लाकडाऊन कर दिया है। अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह ने मोर्चा संभाला था और वर्तमान में चीन के कोरोना के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभाल रखा है। जिनके पीछे सवा सौ करोड़ भारतीय पालन करते दिख रहे हैं।
इसी क्रम में सिख पतविंदर सिंह ने पगड़ी के कपड़ों से मास्क बनाकर लोगों को वितरण कर रहा है। यह कपड़ा घर में पड़ी शादी के उत्सव पर पगड़ी के तौर पर उपयोग होना था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान इसका उपयोग मास्क बनाने के तौर पर किया जा रहा है। मास्क की समस्या से जूझ रहे निर्धन तबके के लोगों की समस्या के निवारण हेतु सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि शादी की लग्न उत्सव मनाने के लिए मंगाई गई नई पगड़ी का इस्तेमाल मास्क बनाने मे कर रहा हूं। सरदार पतविंदर सिंह निर्धन परिवार से हैं दिन-रात एक कर के अपने हाथों से मास्क तैयार करने में लगे हुआ है जिन्हें मुफ्त में बांटा जा रहा है। श्री सिंह के छोटे से परिवार में पूज्नीय माता दलजीत कौर बेटे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मास्क तैयार करने में हाथ बटा रही है।
सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि हर साल घर, परिवार, रिश्तेदार, इष्ट मित्रों में शादी लग्न उत्सव में एक-दूसरे को नई पगड़ी देने की रस्म होती है। लॉकडाउन के कारण सभी तीज त्यौहार उत्सव निरस्त हो गए हैं और मानव को जीवित रहने के लिए पहले मास्क चाहिए। तो दिमाग में ख्याल आया कि क्यों ना उक्त कपड़े को मास्क का रूप देकर जरूरतमंदों के बीच वितरित किया जाए,  जिससे उनका जीवन बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि अभी तक कई लोगों को मास्क वितरित किया जा चुका है, और रोजाना मास्क बनाए जा रहे हैं।